My Cart
close
Your Shopping Cart Is Empty

गृहणी को गृहलक्ष्मी क्यों कहते हैं? जानिये यहाँ-

By Aashish Patidar Mar 06 2020 Astrology

     हमारे देश में महिला और बेटियों को देवी का स्थान दिया गया हैं। इतना ही नही हमारे देश में महिला ना केवल घर के कार्यों में बल्कि हर जगह अपना नाम आगे रखती है, शिक्षा के क्षेत्र से लेकर, खेल में और कार्यक्षेत्र में भी वह पुरुषो से आगे निकल जाती है। पर क्या आप जानते है उन्हें गृहलक्ष्मी क्यों कहा जाता हैं? हर कन्या विवाह के बाद गृहणी बनती है, उसे के साथ उसे गृहलक्ष्मी के पद पर भी बैठाया जाता है।

एक महिला ही है, जो मकान को घर और घर से उसे स्वर्ग बनाने की काबिलियत रखती है। हमारी भारतीय सभ्यता में महिला को घर की शोभा माना जाता हैं जिसके बिना घर, घर नही होता। एक महिला ही जानती है के किस प्रकार घर को सुन्दर और व्यवस्थित रखना है। घर को सजाने-सँवारने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान महिलाओं का होता है। कहा जाता है कि ऑफिस हो या घर, जहाँ भी पुरुषों के साथ महिलाएँ आ जाती हैं वहाँ चीजें खुद-व-खुद व्यवस्थित हो जाती हैं। हर व्यक्ति चाहता है, की उसका घर स्वर्ग सा सुन्दर हो भले उसमे हर सुख सुविधा ना भी हो, और उसे चंद चीजों के साथ स्वर्ग बनाने का काम करती है एक गृहणी। यदि हम ज्योतिष के अनुसार देखें कि किस प्रकार एक महिला घर को स्वर्ग बनाती है या ग्रहणी से गृहालक्ष्मी बनती है तो उसका सफर काफी लंबा होता है। यह निश्चित होता है उस समय जब वर और वधु की कुंडलियां एक दूसरे से मिलती हैं या एक दूसरे से मेल खाती हैं। यदि दोनों व्यक्तियों के नक्षत्र व ग्रहों में सही से मेल मिलाप बन जाता है तो विवाह के पश्चात वधू के ग्रह और नक्षत्र मुबारक के घर में बदलाव व सकारात्मक उर्जा भी अपने साथ लेकर आती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जब भी हमारे घर में कोई नया व्यक्ति आता है तो वह अपने साथ नई उर्जा व खुशहाली लेकर आता है उसी प्रकार से एक ग्रहणी अपने साथ घर में खुशहाल वातावरण और सुख व समृद्धि साथ लाती है। यही नहीं कई बार यह भी होता है कि जिस घर में उस ग्रहणी के कदम पढ़ते हैं वहां धन की वर्षा भी हो जाती है। शायद इसीलिए ग्रहणी को गृह लक्ष्मी याने की घर की लक्ष्मी भी कहा जाता है। इसी के साथ महिला अपने घर में प्रेम व सद्भावना भी कायम रखती है। वह घर को सुंदर ही नहीं बल्कि प्रेम से भरा भी देती है।
 

एक मकान एक व सीमेंट से बन जाता है पर वह घर बनता है प्रेम से और उस प्रेम को बनाए रखने की सबसे मजबूत कड़ी एक ग्रहणी ही होती है। 

यदि आप भी ज्योतिष से जीवन से जुडी कुछ और बातों को जानना चाहते है तो, इंस्टिट्यूट ऑफ़ वैदिक एस्ट्रोलॉजी से ज्योतिष से जुडी बातें सीखे और जाने।