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रुद्राक्ष क्या है और कैसे काम करता है ?

By Institute of Vedic Astrology Jan 31 2020 Gems&crystaltherapy

रुद्राक्ष क्या है - मनुष्य ने जब से प्रगति की है, तब से समस्याएं भी हैं और जब समस्याएं  हैं, तो उसने उनका समाधान भी खोज निकाला है। हर समस्या का समाधान उसने मंत्र से या यंत्र से या फिर रत्नों से खोज निकाला। कुछ मनुष्य है, जो रत्न नहीं पहन पाते तो उन्होंने बहुत सारी वनस्पतियां खोज निकाली। जिनसे कि धन, स्वास्थ्य और विद्या संबंधी समस्याओं का निदान प्राप्त किया जा सकता था। ऐसी वनस्पतियों में रुद्राक्ष होता है। रुद्राक्ष के द्वारा जीवन जीने में आसानी और सार्थकता मिल जाती है। रुद्राक्ष एक फल स्वरूप विशेष बीज है, जो बेर के बीजों से थोड़ा बहुत मिलता-जुलता होता है। यह संसार की सर्वाधिक प्रभावशाली वस्तु है। पवित्रता, दिव्यता, आध्यात्मिक-चेतना, और देवी चमत्कार के लिए विश्व में विख्यात है।

रुद्राक्ष का पौराणिक संदर्भ - रुद्राक्ष को शिवजी के नेत्र से उत्पन्न माना जाता है, इसलिए इसका नामकरण रुद्राक्ष अर्थात रूद्र धन अक्षर रखा हुआ है। शिव भक्तों को यह बहुत ही प्रिय है। वैसे अन्य अनेक देवी-देवताओं की पूजा विधि में भी इसकी माला धारण करने और उस पर मंत्र जप करने का विधान है। आध्यात्मिक दृष्टि से जितना महत्व रुद्राक्ष को प्राप्त है कदाचित ही अन्य किसी वनस्पति को प्राप्त होगा। अध्यात्म ही नहीं, भौतिक जगत के कई क्षेत्रों में भी इसका विशेषकर- चिकित्सा क्षेत्र में इसे बहुत मान्यता प्राप्त है। पूजा-पाठ और मंत्र-जप आदि में विशेष लाभ के लिए रुद्राक्ष की माला सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। गणेश जी, लक्ष्मी जी, शिव जी आदि सभी देवी-देवताओं की उपासना में रुद्राक्ष की माला एक अहम भूमिका अदा करती है, परंतु डाकिनी-शाकिनी-यक्षिणी, आदि की उपासना में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग वर्जित है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह इसकी पावनता, शिवत्व और कल्याणकारी प्रभाव के कारण है।

रुद्राक्ष कहां पाए जाते हैं। - रुद्राक्ष एक पेड़ का फल है। यह फल गूलर के समान गोल होता है। गोल जामुन की कल्पना करते है, ठीक वैसा ही होता है। परंतु जामुन का गुदा कोमल होता है, जबकि यह बहुत ही कठोर है। इसकी टहनियों में फलों की संख्या विपुल होती है और ये पक कर अपने आप गिर जाते हैं। पेड़ के नीचे या फल निंबोली की तरह बिखरे रहते हैं। आदिवासी लोग इनका संग्रह करते हैं और फिर पानी में कई दिनों तक फलों को भिगोकर गूदे को मुलायम करके निकालते हैं। गुदा निकल जाने पर धुले हुए रुद्राक्ष के बीज बाजार में बिकने आते हैं। पके फल के बीज उत्तम होते हैं, लेकिन कच्चे फलों के बीच ना तो स्थाई होते हैं, न ही गुणवत्ता में पूरे खरे उतरते हैं। कुछ जंगली बेर के बीजों की मिलावट भी इनमें होती है। अतः रुद्राक्ष खरीदते समय उसकी शुद्धता को भलीभांति परख लेना चाहिए। रुद्राक्ष के पेड़ भारत में, नेपाल के आसपास पाए जाते हैं। वैसे कुछ पेड़ दक्षिण भारत में भी हैं, परंतु स्वाभाविक रूप से इसके पेड़ हिमालय की तराई वाले क्षेत्रों में ही मिलते हैं। बर्मा, दक्षिण पूर्व के देशों, जावा, कंबोडिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया और सुमात्रा आदि देशो विशेष रूप से पाया जाता है।

रुद्राक्ष का मुख्य भेद से वर्गीकरण - रुद्राक्ष का दाना हाथ में लेकर गौर से देखें, जैसे छिले हुए नींबू अथवा आंवले के फल पर धारियां बनी होती है। ठीक वैसी ही धारियां रुद्राक्ष के दाने पर दिख जाती हैं। रुद्राक्ष चाहे जिस आकार में हो उसके उपर धारिया होती है। यह धारिया एक सिरे से चलकर दूसरे सिरे को छूती हैं। इन्हें मुख कहते हैं, जिन दानों पर जितने धारियां हो वह दाना उतना ही मुखी कहलाता है। आमतौर से पांच धारियों वाले दाने ही पाए जाते हैं, उन्हें पंचमुखी रुद्राक्ष कहते हैं। यह धारियां प्राकृतिक रूप से निर्मित होती हैं। इनकी संख्या 1 से लेकर 21 तक मानी जाती हैं, परंतु वर्तमान समय में अधिकतम 14 धारियों वाले दाने ही देखे गए हैं। इनमें कुछ सुलभ होते हैं और कुछ दुर्लभ तो कुछ तो बिल्कुल ही प्राप्त नहीं होते हैं। जिस पेड़ में जिस आकार के फल आते हैं, सभी लगभग समान ही होते हैं। आम, जामुन की तरह प्रत्येक दाने वाले पेड़ अलग-अलग होते हैं। परन्तु धारियों की संख्या इसमें बदलती रहती है, जिस पेड़ से पंचमुखी रुद्राक्ष प्राप्त होते हैं उसी से 6 तथा 7 मुखी दाना भी प्राप्त हो जाता है। रुद्राक्ष छोटा हो या बड़ा सभी पूजा तथा औषधीय प्रयोग में समान रूप से उपयोग में आते हैं।

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