घर के सबसे पवित्र स्थान, रसोई के लिए वास्तु
By Aashish Patidar Apr 10 2020 Vastu
हमारे जीवन के साथ-साथ हमारे घर का एक-एक कोना और एक-एक कमरा हमारे लिए महत्वपूर्ण होता है, चाहे वह बैठक कक्ष हो या चाहे वह शौचालय हमें हमारे घर के हर कोने को साफ़, स्वच्छ और सुंदर बनाना पसंद होता है। इसी के साथ यह भी आवश्यक है कि हम उसे हमारे और हमारे परिवार जनों के लिए सुरक्षित भी बनाएं ।
वहीं यदि बात है घर के हर एक कक्ष की तो वही हमारा रसोई का कमरा उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। हमारे घर की रसोई समृद्धि का प्रतीक होती है, इसीलिए यह बेहद आवश्यक होता है कि हम इसे सही दिशा के साथ-साथ सही दशा भी प्रदान करें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार देखा जाए तो हमारे घर आए हमारे घर के सदस्य पर हमारे घर के आंतरिक व बाहरी सकारात्मक व नकारात्मक वातावरण का प्रभाव पूर्ण रूप से पड़ता है जैसा वातावरण हम हमारे घर में बनाएंगे वैसा वातावरण हमें हमारे जीवन में भी मिलेगा लेकिन जहां बात आती है रसोईघर की तो वह शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है क्योंकि वहां सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक तत्व अग्नि का वास होता है उसी के साथ जल का भी। यह दोनों प्राकृतिक तत्व अपने आप में काफी बलशाली माने जाते हैं जो व्यक्ति के जीवन में बड़े स्तर पर महत्वता रखते हैं। आइए जानते हैं किस प्रकार रसोई कक्ष में वास्तु अपनाने से आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि का वास हो सकता है, इसी के साथ हम यह भी जानेंगे कि क्यों हमारे रसोई घर में वास्तु करना आवश्यक है।
रसोईघर को वास्तु अनुसार बनाना जरूरी है अन्यथा यह रोग, शोक और धन की बर्बादी का कारण भी बन सकता है।
वास्तु विज्ञान के अनुसार रसोई घर आग्नेय कोण में होना शुभ होता है। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं या इसके अनुसार अपना रसोई नहीं बनाते हैं तो घर के लोगों की सेहत खासतौर पर महिलाओं की सेहत पर फर्क पड़ सकता है, जो अपना आधा समय रसोईघर में बिताती हैं। इसी के साथ अन्न और धन की हानि भी होना निश्चित है।
कैसे बनाएं अपना रसोई घर वास्तु के अनुसार-
जिस घर में रसोई दक्षिण पूर्व यानी अग्नि कोण में नहीं हो तब वास्तु दोष दूर करने के लिए रसोई के उत्तर पूर्वी यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेश जी की तस्वीर लगाकर आप वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं।
यदि आप का चूल्हा आग्नेय कोण में प्लेटफार्म पूर्व दक्षिण की ओर है तो उस स्थिति में आपका वाशबेसिन उत्तर दिशा में होना चाहिए। भोजन बनाते समय भी आपको इस चीज का ध्यान रखना चाहिए कि आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो और उत्तर दक्षिण दिशा में मुख करके खाना बनाने से बचें।
यदि आप सोच रहे हैं कि रसोई घर में पानी के बर्तनों व मटके का स्थान कहां हो तो यह ध्यान रखें कि रसोई घर में पानी व पीने के पानी को उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
रसोई घर में यदि झाड़ू पोछा या सफाई करने का कोई सामान है तो उसे बाहर या फिर किसी ऐसे स्थान पर रखें जहां आमतौर पर बाहर से आए लोगों की नजर ना पड़े । साथ ही आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आपको आपके रसोईघर में कूड़ा दान यानी कि डस्टबिन नहीं रखना है।
जहां तक बात आती है रसोई में किस प्रकार का रंग करवाना या किस प्रकार का रंग होना चाहिए तो इसके लिए सबसे सरल उपाय है वैदिक वास्तु की सहायता लेना इसके जरिए आप बड़ी आसानी से पता लगा सकते हैं कि दिशा व स्थिति अनुसार किस रंग का रसोई घर बनाना आपके लिए फलदायक हो सकता है।
रसोई घर में फर्श और दीवारों का रंग पीला नारंगी या गेरुआ रंग में होना अच्छा माना जाता है। नीले और आसमानी रंग का प्रयोग रसोई में करने से आपको बचना चाहिए। वही आप हल्के रंग जैसे सफेद या गुलाबीरंग का उपयोग भी अपने रसोई में कर सकते हैं।
उसी के बाद बात आती है रसोई में किस तरह से समान को रखा जाए इसका सही उपाय वैदिक वास्तु के पास है।
यदि आप मॉड्यूलर किचन बनाते हैं तो किसी वास्तुशास्त्री से पूछ कर ही बनाएं जिससे आप कोई ऐसी गलती ना कर बैठे जिससे आपको आपकी रसोई से अशुभ फल की प्राप्ति हो।
रसोई में टूटे-फूटे बर्तन अटाला या झाड़ू को रखने से बचे। यह आपके रसोई घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ा सकती है जिससे आपके घर में भी नकारात्मक वातावरण में वृद्धि हो सकती है।
रसोई घर में पूजा का स्थान बनाना शुभ नहीं माना जाता है। इसीलिए कोशिश करें कि आपके रसोईघर में मंदिर आप ना बनाएं या यदि आपने अपने रसोईघर में पहले ही मंदिर का स्थान बना रखा है तो जल्दी इसे बदलने का प्रयास करें या इसे किसी अन्य स्थान पर रखने का निर्णय लें।
वाश बेसिन और चूल्हा एक ही प्लेटफार्म पर ना हो यह इसलिए क्योंकि अग्नि व जल दोनों ही शक्तिशाली प्राकृतिक तत्व माने जाते हैं जो एक साथ होने पर नकारात्मक प्रभाव देते हैं इसलिए कोशिश करें कि आपका चूल्हा और वाश बेसिन एक दूसरे के आस-पास ना हो।
यदि आपके चूल्हे के ऊपर किसी तरह का सेल्फ है तो उसे जल्दी हटाने का सोचे और यदि आप नया रसोई घर बनाने जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि आपके चूल्हे के ऊपर कोई सेल्फ ना हो।
रसोई कक्ष बनाते समय यह ध्यान रखें कि वहां कोई खिड़की या उजाल दान जरूर हो जिससे हवा का प्रभाव बना रहे और सकारात्मक ऊर्जा आपके रसोई में प्रवेश ले सके।
यदि आप वैदिक वास्तु से जुड़े कुछ और तथ्यों के बारे में जानना चाहते हैं तो आप इंस्टिट्यूट ऑफ वेदिक एस्ट्रोलॉजी से पत्राचार पाठ्यक्रम में वैदिक वास्तु सीख अपने घर को वास्तु के अनुसार बना सकते हैं और इससे दूसरों की सहायता भी कर सकते हैं। हमारी वैदिक ज्योतिष संस्थान इंस्टिट्यूट ऑफ वेदिक एस्ट्रोलॉजी से आप वास्तु का पत्राचार पाठ्यक्रम सीख अपने घर में सकारात्मक बदलाव जरूर देख पाएंगे।
Search
Recent Post
-
Discover the best professional astrology course at the institute of vedic astrology (iva)
Astrology is an ancient and profound science that ...Read more -
Unlock your potential with a certificate course in astrology from the institute of vedic astrology
Are you curious about astrology, Vastu, or numerol...Read more -
Discover the best institute to learn astrology in india: the institute of vedic astrology
Astrology has long been an ancient science that pr...Read more -
Vastu shastra for interior design: harmonizing your home for well-being and prosperity
Have you ever walked into a space and felt instant...Read more -
Which business suits me according to astrology?
Astrology is not just about reading daily horoscop...Read more