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सुखी दांपत्य जीवन के उपाय-

By Institute of Vedic Astrology Feb 11 2020 Astrology

विवाह क्या है?

भारतीय संस्कृति में अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए और समृद्ध करने के लिए विवाह की एक शुभ परंपरा है जिसमें दो व्यक्तियों को एक मधुर बंधन में बांधा जाता है इस बंधन में बंद कर दो व्यक्ति एक साथ जीवन व्यतीत करते हैं, एक साथ सुख-दुख बांटते हैं, और मिलजुलकर  परिवार की व्यवस्थाएं संभालते हैं, पति-पत्नी परिवार रूपी गाड़ी के दो पहिए होते हैं यदि एक भी रुक जाए तो परिवार रूपी गाड़ी आगे नहीं बढ़ती जिन व्यक्तियों का दांपत्य जीवन खुशहाल होता है, वे अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी अच्छी प्रगति करते देखे गए हैं। किसी कारण से यदि दांपत्य जीवन खुशहाल नहीं होता है तो उसमें घबराने वाली कोई बात नहीं होती उससे बहुत सरल उपायों द्वारा खुशहाल बनाया जा सकता है।

दांपत्य सुख हेतु ज्योतिषी उपाय-

जीवन में असंतुष्ट दांपत्य अनेक समस्याओं की जड़ होता है, जिससे विभिन्न प्रकार के तनाव एवं बाधाएं उपस्थित होती हैं दांपत्य जीवन को सहज सरल और मधुर बनाने के लिए यह कुछ उपाय हैं-

1 प्रदोष के दिन गुड़ का शिवलिंग बनाकर उसकी विधि पूर्वक पूजा करने से दांपत्य जीवन में सौहार्द बढ़ता है।

2 प्रतिदिन सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए सुंदरकांड का पाठ शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार से प्रारंभ किया जा सकता है 3.चावल मिश्री दूध सुगंधित वस्तुएं दही और सफेद पशु दान करने से दांपत्य जीवन मधुर बनता है।  

4.दांपत्य जीवन शुक्र को प्रबल करने से मधुर बनता है उसके लिए सत्संगति करना, कला में रूचि पैदा करना, और एकांत का त्याग करना आवश्यक है।

5 स्फटिक की माला से इस मंत्र का 11000 बार जप करने से और उसके बाद बेसन के लड्डू का प्रसाद बांटने से लाभ होता है मंत्र है- “ओम ह्रीं सः”।  

6 तुलसी की माला से निम्नलिखित मंत्र का 18 बार जप करने के बाद माला को बहते जल में प्रवाहित करने से लाभ होगा मंत्र है- “ओम ह्रीं सः” यदि पति-पत्नी के मध्य अकारण ही तनाव उत्पन्न हो रहा हो, तो दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए निम्नलिखित मंत्र का लाल चंदन की माला से 21000 जाप करने चाहिए और जाप के बाद माला को स्वयं धारण कर लेना चाहिए -"ओम क्ल क्लोम क्रीम नमः”

व्रत एवं दान से दांपत्य सुख प्राप्ति के उपाय-

जिन स्त्रियों को दांपत्य सुख में स्थायित्व चाहिए, वह गुरुवार का व्रत विधि पूर्वक करें गुरुवार के व्रत में इन नियमों का पालन आवश्यक है। व्रत को शुक्ल पक्ष के गुरूवार से प्रारंभ करें व्रत वाले दिन केले के वृक्ष की पूजा करें गुड़ और चने का भोग लगाएं, तथा भगवान विष्णु की आराधना करें और भगवान को पीले पुष्प अर्पित करें, गुरुवार को पीले रंग के वस्त्र धारण करें तथा खाने में पीली वस्तुओं का उपयोग करें गुरु मंत्र- “ॐ बृहस्पताऍ नमः” का जाप करें किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा दें।  तथा सुखी दांपत्य जीवन हेतु आशीर्वाद प्राप्त करें, इस दिन झूठ बोलने और पाप कर्मों से दूर रहें।

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