एक सफल पूजा के विभिन्न चरण
By Aashish Patidar Jan 07 2020 Astrology
पूजा का अर्थ
जब हमें किसी मनुष्य से बातचीत करनी होती है, तो हम भाषा का प्रयोग करते हैं और उससे सीधे सीधे बातचीत करके अपनी बात उसे समझा लेते हैं। जब हम किसी कंप्यूटर जैसीकिसीमशीनकोकमांडदेतेहै,तब हम उसके कीबोर्ड द्वारा या उसके स्विच या बटनो द्वारा उसे अपनी बात समझा लेते हैं, कि हम उससे क्या चाहते हैं। परंतु जब हमें परमात्मा से बात करनी होती है, तब हमारे पास भाषा का साधन सीधा-सीधा नहीं होता, क्योंकि परमात्मा हमें दिखाई नहीं देता। तब उस अदृश्य शक्ति तक अपनी बात पहुंचाने के लिए जो सशक्त माध्यम होता है, वह होती है पूजा। जो कार्य एक मशीन द्वारा नहीं हो सकता। वह कार्य पूजा के द्वारा हो जाता।
पूजा के विभिन्न चरण
एक सफल पूजा के लिए विभिन्न चरण होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं।
पवित्रीकरण
पूजा विधान का कार्य पवित्रीकरण की क्रिया से प्रारंभ करते हैं। यह एक भावनात्मक क्रिया है, सर्वप्रथम पूजन के द्वारा परमात्मा का एवं प्रकृति का ध्यान करने से पहले अपने आप को मन आत्मा एवं शरीर से पवित्र करना, मनवाणी एवं शरीर द्वारा अपने को शुद्ध करना, अर्थात भावना करना, कि अब मैं अत्यंत सात्विक कर्म करने को तैयार होता हूं। एवं एकाग्र भाव उत्पन्न करता हूं, इस भावना से शरीर एवं आत्मा का पवित्रीकरण करने की विधि की जाती है।
शिखा बंधन
शिखा रखना भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। शिखा स्थान बुद्धि का वह केंद्र स्थान है, जहां से बुद्धि में सभी प्रकार के विचार उत्पन्न होते हैं। उन्हें स्पाइनल कॉर्ड के द्वारा समस्त शरीर के अंगों तक पहुंचाने का कार्य इसी स्थान से प्रारंभ किया जाता है। स्पाइनल कॉर्ड मस्तिष्क से जुड़कर मस्तिष्क के समस्त विचारों का संप्रेषण करती है। इसीलिए इस स्थान पर शिखा रखी जाती है, जो स्पाइनल कॉर्ड का बाह्य स्वरूप है और गणपति का स्वरूप है, अर्थात पूजा विधि प्रारंभ करने से पूर्व परमात्मा से प्रार्थना करते हैं।कि बुद्धि उत्तम विचारों का संप्रेषण करें पूजा का प्रत्येक सद्भाव बुद्धि द्वारा शरीर को पूर्ण रूप से प्राप्त हो।
तिलक धारण करना।
पूजन करने के पूर्व तिलक की स्थापना माथे पर की जाती है। कुमकुम रोली के द्वारा अथवा चंदन के द्वारा माथे पर तिलक धारण किया जाता है। अधिकतर मंगल कार्यों में कुमकुम का ही प्रयोग होता है। कुमकुम इसलिए माथे के अग्रभाग पर लगाते हैं, क्योंकि यह हमारी बुद्धि का अग्रभाग है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में फ्रॉम कॉल लॉग कहते हैं। योग की भाषा में इस स्थान को आज्ञा चक्र कहते हैं। इस आज्ञा चक्र को शांति प्रदान करने के लिए कुमकुम लगाया जाता है। मन में प्रश्न यह उठ सकता है, कि कुमकुम ही क्यों लगाया जाता है। वह इस कारण की कुमकुम का निर्माण हल्दी एवं चूने को मिलाकर किया जाता है। हम सभी जानते हैं, कि हल्दी औषधि के समान गुण रखती है। हल्दी को घाव पर लगा दो तो ठंडक पड़ जाती है। जले हुए पर लगा दो तो ठंडक पड़ जाती है। उस औषधि गुण आयुक्त हल्दी एवं चूने के रासायनिक मिश्रण से कुमकुम का निर्माण होता है, जो आज्ञा चक्र पर लगाने से आज्ञा चक्र को शांति एवं एकाग्रता मिलती है। इसी प्रकार चंदन भी आज्ञा चक्र को ठंडक प्रदान करता है, इस भावना से बुद्धि को शांति प्रदान करने के लिए कुमकुम एवं चंदन का लेप आज्ञा चक्र पर किया जाता है।
रक्षा सूत्र
रक्षा सूत्र शब्द से ही समझ में आता है, कि पूजा करने वाले यजमान के उस हाथ में जिसके द्वारा वह पूरी पूजन क्रिया को क्रियान्वित करेगा रक्षण एवं पवित्रता के लिए रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा बनी हुई है।
संकल्प
जिस भी विशेष पूजा का प्रकरण होता है, उसके अनुकूल परमात्मा के सामने संकल्प लेते हुए उस पूजन को करने का एवं उससे अच्छे फल की कामना करने हेतु इस संकल्प का विधान पूजा पद्धति में किया जाता है। इसमें पूजन की तारीख दिन समय संवत एवं चंद्र एवं समस्त ग्रहों की नक्षत्र एवं राशि गत स्थिति इत्यादि का विवरण देते हुए, उस व्यक्ति से संकल्प लिया जाता है। जिसके द्वारा वह पूजा करने वाला व्यक्ति परमात्मा से प्रार्थना करता है, कि उसकी पूजा का श्रेष्ठ फल उसे एवं उसके परिवार को प्राप्त हो।
* स्वाति वचन*
अर्थात शांति पाठ वह भी एक बहुत ही सुंदर प्रथा हमारी पूजा में होती है, जो पूजा प्रारंभ करने से पहले हम शांति पाठ करते हैं। इसका तात्पर्य है, कि पूजा के पूर्व पृथ्वी पर उपस्थित सभी जड़ एवं चेतन तत्वों को शांति मिले उनका हम पर आशीर्वाद रहे और प्रकृति के तत्वों से मानवजाति प्रसन्न रहो ऐसा भाव रखकर वैदिक मंत्रों का पाठ किया जाता है। उन सभी मंत्रों का यही तात्पर्य होता है, कि सब जगह सुख शांति हो पृथ्वी पर, अंतरिक्ष में, जल में, वनस्पति में, औषधि में सभी कुछ जो ईश्वर ने ब्रह्मांड में बनाया सभी को शांति प्राप्त हो इस प्रकार और भी अनेक मंत्र होते हैं, जो प्राकृतिक तत्वों से हमें सुख प्रदान करने की भावना से लिखे गए।
गणपति स्थापना पूजन का प्रारंभ गणपति की स्थापना से ही होता है। कोई भी विशेष कार्य हो विवाह, भूमि पूजन, ग्रह प्रवेश, व्यापार प्रारंभ, लक्ष्मी पूजन अथवा ग्रहों की शांति के पूजन या और भी किसी प्रकार की पूजा हो सर्वप्रथम गणपति स्थापना की जाती है।सभी शुभ कार्यों को करने से पहले गणपति की स्थापना की जाती है, क्योंकि सभी कार्य स्वस्थ बुद्धि के द्वारा ही संभव होते हैं। अतः सर्वप्रथम गणपति जी की स्थापना कर उपासना कर परमात्मा से प्रार्थना की जाती है, कि वह हमारी बुद्धि को स्थिर करें ताकि यह शुभ कार्य संपन्न हो सके।
पंचतत्व पूजन
यह पूजन गणपति स्थापना के पहले किया जाता है, जिसमें दीप प्रज्वलन कर पूजा का प्रारंभ किया जाता है। जो कि अग्नि की पूजा करने के लिए किया जाता है। दीप प्रज्वलन का कर पूजा का प्रारंभ इसलिए किया जाता है, क्योंकि सर्वप्रथम पूजन प्रारंभ करने से पहले परमपिता परमात्मा को जो दिव्य ज्योति के स्वरूप में है या अग्नि पुंज के स्वरूप में हैं, तो उनके उसी स्वरूप को सार्थक रूप में पूजने के लिए अग्नि जलाई जाती है। दूसरा कारण यह है, कि पंचतत्व जिनसे यह मानव शरीर बनता है, उसका पहला तत्व अग्नि है, अग्नि के द्वारा ही हमारा शरीर जीवित और स्वस्थ है जठराग्नि हमारे खाए भोजन को पचाने का कार्य करती है। भोजन का पचना और शरीर का जीवित रहना इस अग्नि के बिना संभव नहीं, इसी तरह हमारे शरीर का तापमान अभी अग्नि के द्वारा ही स्थिर रहता है। अतः अग्नि हमें हमेशा स्वस्थ और जीवित रखती है, इसलिए इस अग्नि का सर्वप्रथम सम्मान किया जाता है।
कलश स्थापना
प्रत्येक पूजन विधि में कलश स्थापना अवश्य की जाती है। कलश स्थापना कर ब्रह्मांड को नारियल का स्वरूप देकर उस पर समस्त देवताओं का आव्हान किया जाता है। पांच पान के पत्ते रखे जाते हैं या आम के पत्ते रखे जाते हैं, जिसका संकेत होता है कि हमें अपनी प्रकृति को बचाना है और कलश में जल भरकर यह संकेत होता है, कि जल हमारे जीवन के लिए कितना जरूरी है।
इसी तरह के अन्य विषयों में जानने के लिए आप वैदिक ज्योतिष शास्त्र विषय में अध्यन कर सकते है। इंस्टिट्यूट ऑफ़ वैदिक एस्ट्रोलॉजी जो एक सर्वश्रेष्ठ संस्थान है, जो आपको इस तरह के विषय में आपको तीन प्रकार से कोर्स उपलब्ध करता है। जैसे वैदिक एस्ट्रोलॉजी, विडियो वैदिक एस्ट्रोलॉजी तथा कॉम्बो कोर्स और वो भी दूरस्थ पाठ्यक्रम द्वारा आपके घर बैठे आपकी इच्छा अनुसार।
Search
Recent Post
-
Learn vedic astrology for beginners: unlock the ancient wisdom with iva
Are you intrigued by the mysteries of the cosmos? ...Read more -
Diploma in astrology through distance education: unlock your potential with iva
Astrology has been a guiding force for centuries, ...Read more -
Understanding the 12 houses of astrology: unlocking your path to self-discovery with iva
Astrology is an ancient science that helps us bett...Read more -
Name correction in numerology: unlock your true potential with iva
In today’s fast-paced world, many individuals seek...Read more -
Unlock your potential with a diploma in astrology online from iva
Are you fascinated by the stars and their influenc...Read more